30 मार्च: राजस्थान दिवस

इंग्लैण्ड के विख्यात कवि किप्लिंग ने लिखा था, 'दुनिया में अगर कोई ऐसा स्थान है, जहां वीरों की हड्डियां मार्ग की धूल बनी हैं तो वह राजस्थान कहा जा सकता है।' सच ही तो है। इन वीरों की शौर्य गाथा आज भी हमारी नसों में उबाल भरने के लिए काफी हैं। 

30 मार्च: राजस्थान दिवस
वीर तो वीर, वीरांगनाएं भी अपनी माटी के लिए कुर्बानी देने में नहीं झिझकीं। शौर्य और साहस ही नहीं बल्कि हमारी धरती के सपूतों ने हर क्षेत्र में कमाल दिखाकर देश-दुनिया में राजस्थान के नाम को चांद-तारों सा चमका दिया। 

कला-संस्कृति हो, या व्यापार। चाहे खेल की बात करो या खेती की...। सबसे आगे हैं राजस्थानी। मरूधरा का गर्वीला इतिहास आज भी हर राजस्थानी में आगे बढऩे का जोश भर रहा है...।

राजस्थान की धरती पर रणबांकुरों ने जन्म लिया है। यहां वीरांगनाओं ने भी अपने त्याग और बलिदान से मातृभूमि को सींचा है। यहां धरती का वीर योद्धा कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान ने जन्म लिया, जिन्होंने तराइन के प्रथम युद्ध में मुहम्मद गौरी को पराजित किया।

कहा जाता है कि गौरी ने 18 बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था जिसमें 17 बार उसे पराजय का सामना करना पड़ा था। जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी ने तो हाथों से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था। 

राणा सांगा ने सौ से भी ज्यादा युद्ध लड़कर साहस का परिचय दिया था। पन्ना धाय के बलिदान के साथ बुलन्दा (पाली) के ठाकुर मोहकम सिंह की रानी वाघेली का बलिदान भी अमर है। जोधपुर के राजकुमार अजीतसिंह को औरंगजेब से बचाने के लिए वे उन्हें अपनी नवजात राजकुमारी की जगह छुपाकर लाई थीं।

जैसलमेर का पोकरण लाल पत्थरों से निर्मित दुर्ग के कारण मशहूर था। अब इसकी पहचान भारत की एटमी ताकत की भूमि के रूप में भी है। यहां पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण 18 मई, 1974 को किया गया था। इसके बाद 11 और 13 मई 1998 को भी यहां परीक्षण किए गए।

17 मार्च 1948 अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों का विलय, 'मत्स्य संघ बना, धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयसिंह राजप्रमुख व अलवर राजधानी बनी। 

25 मार्च 1948 कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ व शाहपुरा का विलय, राजस्थान संघ बना।

18 अप्रेल 1948 उदयपुर रियासत का विलय। नया नाम 'संयुक्त राजस्थान संघ। उदयपुर के तत्कालीन महाराणा भूपाल
सिंह राजप्रमुख बने।

30 मार्च 1949 जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय, वृहत्तर राजस्थान संघ बना। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।

15 अप्रेल 1949 मत्स्य संघ का वृहत्तर राजस्थान संघ में विलय।

26 जनवरी 1950 सिरोही रियासत को भी वृहत्तर राजस्थान संघ में मिलाया गया।

एक नवंबर 1956 आबू देलवाड़ा तहसील का भी राजस्थान में विलय, मध्यप्रदेश में शामिल सुनेल टप्पा का भी विलय हुआ।

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