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राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस    प्रत्येक वर्ष  भारत  में ' 2 दिसम्बर ' को मनाया जाता है। यह दिवस उन लोगों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने ' भोपाल गैस त्रासदी ' में अपनी जान गँवा दी थी। उन मृतकों को सम्मान देने और याद करने के लिये भारत में हर वर्ष इस दिवस को मनाया जाता है। भोपाल गैस त्रासदी वर्ष  1984  में 2 और  3 दिसंबर  की रात में शहर में स्थित यूनियन कार्बाइड के रासायनिक संयंत्र से जहरीला रसायन, जिसे मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) के रूप में जाना जाता है, के साथ-साथ अन्य रसायनों के रिसाव के कारण हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक लोगों की A एमआईसी की जहरीली गैस के रिसाव के कारण मृत्यु हो गयी। बाद में, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ये घोषित किया गया कि गैस त्रासदी से संबंधित लगभग 3,787 लोगों की मृत्यु हुई थी। अगले 72 घंटों में लगभग 8,000-10,000 के आसपास लोगों की मौत हुई, वहीं बाद में गैस त्रासदी से संबंधित बीमारियों के कारण लगभग 25000 लोगों की मौत हो गयी। ये पूरे विश्व में इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदा के रूप में जाना गया।

जिन्दगी: संघर्ष और हिम्मत..... हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती.......

दोस्तों जिन्दगी केवल जीने का ही नाम नहीं हैं। जिन्दगी का दूसरा पहलु संघर्ष भी है और इसी संघर्ष और हिम्मत को बयां किया है डाॅ . श्री हरिवंशराय बच्चन जी ने अपनी इस सुन्दर और प्रेरणादायी कविता में। लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती नन्ही चींटीं जब दाना ले कर चढ़ती है चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है मन का विश्वास रगॊं मे साहस भरता है चढ़ कर गिरनाए गिर कर चढ़ना न अखरता है मेहनत उसकी बेकार नहीं हर बार होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है जाण्जा कर खाली हाथ लौट कर आता है मिलते न सहज ही मोती गेहरे पानी में बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती असफलता एक चुनौती हैए स्वीकार करो क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो जब तक न सफल हो नींदण्चैन को त्यागो तुम संघर्षों...

बेहतर कौन: बच्चे या सांसद

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नोटबंदी पर गर्मायी राजनीति के चलते पूरे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में सिवाय हंगामें और नारेबाजी के कोई काम नहीं हो पाया। क्या भारतीय राजनीति इस हद तक गिर गई है कि इसे संसद के मान और मर्यादा का ख्याल तक नहीं है। संसद के एक सत्र में करोडों का खर्च आता है और ये सारा पैसा किसी सांसद की जेब से नहीं जाता। जाता है तो जनता की जेब से। संसद के इस सत्र में शायद ही कभी 50 प्रतिशत सांसद उपस्थित रहे हों और उपस्थित सदस्यों ने पूरे सत्र में हंगामें और नारेबाजी के अलावा कोई और काम नहीं किया हो लेकिन फिर भी वे अपने पूरे कार्यकाल में संसद में आ सकते हैं और हंगामा कर सकते हैं। उनपर लगाम लगाने के लिए कोई नियम नहीं है।            एक सांसद यदि संसद में उपस्थित नहीं होता है तो उसपर किसी भी प्रकार के जुर्माने या सजा का प्रावधान नहीं है लेकिन यदि किसी छात्र की उपस्थित स्कूल में कम हांे तो वह परीक्षा में नहीं बैठ सकता................. क्यों..? क्या इसका जवाब किसी राजनेता के पास है ?      इस सत्र के दौरान हमारे लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की उ...

आप भी पढ़े, मैं भी पढ़ता हूं...

मैं कोटपूतली शहर से हूं और इस समय हमारा कोटपूतली शहर भारी अव्यवस्थाओं एवं प्रशासनिक विफलताओं से जूझ रहा है। कभी शहर की नगरपालिका की साधारण सभा में हंगामा होता है तो कभी पंचायत समिति में कुर्सियां चल जाती हैं, तो कहीं सड़क पर जिंदगी रौंदते यमदूतों पर लगाम लगाने की हिम्मत कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं दिखा पा रहा है। जनता ओवरलोड़ और अवैध खनन के विरोध में एक बार फिर सड़कों पर है। कोटपूतली की ताजा तरीन अपडेट के लिए आप भी पढ़े, मैं भी पढ़ता हूं...   www.newschakra.org Read More... http://www.newschakra.org/2016/12/005-2/